जब हम ऐसी अवस्था को प्राप्त कर लेतें हैं जिसमें हम पूरी तरह अहानिकारक हों, जब हम किसी को कष्ट पहुंचाने मैं पूरी तरह असमर्थ हों, तब हमारे कर्म माफ़ किये जा सकतें हैं