नोस्टिक विवेक यह जानना,"हम कौन हैं,कहाँ से ए हैं,किस ओर जा रहे हैं" सदा ही मनुष्य की मूल अभिलाह्षा रही है.हेर्मेस्टिक विवेक,अनंत ग्नोसिस,इस मौलिक आवश्यकता का उत्तर देता है. रास्ता और जीवन हमारे सामने दो रास्ते हैं:"रास्ता" जो हमें हमारे और ब्रहमांड के समस्त विवेक की ओर ले जाता है;और रोजाना का "जीवन","हो या न हो,प्रश्न तोह यह है".
मनुष्य का मानसिक अध्ययन एक ऐसी "अंदरूनी दुनिया" या "मानसी आयाम है" अस्तित्व रखता है जहाँ हमारे सभी ख्याल,भावनाएं और ढंग अभिमुख होते हैं.उसे बहार मत ढूँढिये जो आपके अन्दर है.मनुष्य खुद को जानो. मनुष्य मशीन बिमारी को दूर रखने और जीवन को जारी रहका एक तरीका कई हज़ार सालों से पूर्व में जाना गया है.इसका मूल हिया:मानव की ऊर्जाओं को संतुलन में रखना.उन तरीकों का लाभ उठाइए! चौथा आयाम "आइन्स्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" ने यह साबित किया है की इस तीसरे आयाम के इलावा कई आयाम अस्तित्व रखते हैं.सिध्धांत जैसे की "बर्म्युडा त्राइएन्ग्ल" केवल इसी सिध्धांत से समझाए जा सकतें हैं. मानसिक प्रोजेक्शन सचेत रूप से चौथे आयाम (आस्ट्रल दुनिया) में जाने के तरीके मिस्र में जाने जाते थे.नोस्टिक विद्याओं ने उन तरीको को ग्रहण कर लिया है,यानिकी, अब आप अद्बुत घटनों को अनुभव कर सक्तयूं हैं जैसे की समय में भ्रमण करना. स्वप्न की श्रेष्ठता स्वप्न अपनी प्रतीकात्मक गहरायिओं में मनुष्य जीवन के लिए एक श्रेष्ठ अर्थ प्रदान करतें हैं. सी. गी. जुंग ने सही कहा है की हमें स्वप्नों को कम नहीं समझना चाहिए, और ताल्मूद ने कहा है की एक स्वप्न जिसे समझा नहीं गया है वः एक पत्र के सामान है जिसे कबी खोला ही नहीं गया है.
औनेरिक मर्यादा स्वप्नों ने कई महा पुरुषो के जीवन का मार्गदर्शन किया है.प्यारे पाठक तब आपको ऐसा नहीं लगता की वे आपका मार्गदर्शन भी कर सकतें हैं?आप अपने स्वप्नों को याद रखने का एक आसन तरीका सीख सकतें हैं और उनका सही अनुवाद कर सकते हैं.
चेतना की जागृति हालांकि वः शयनावस्था में है लें हमारे अन्दर एक ऐसी योग्यता है जो हमें जीवन और मृत्यु के महान सच को समझने में समर्थ कर सकते हैं.जीवन के महान सह की तरफ जागरूक होइए एक आसन और स्वाभाविक तरीके से. धारणा का रूपांतरण कई शोध यह साबित कर चुके है की मनुष्य हालत का मारा है:तनाव ,गुस्सैल विज्ञापन,आर्थिक मंदी.......जानिये कैसे मुश्किल परिस्थितिओं को संभाला जाये.
कारण और प्रभाव का नियम हम पीड़ित हैं ,और सबसे बुरा तो यह है की हमें इस पीड़ा का कारण भी नहीं पता.जीवन में कुछ भी संयोग से नहीं होता.हम अपने अगले जीवन में आज के कर्मो का फल भोगेंगे. एक कथनी के अनुसार "सभी अपनी बोई फसल को काटते हैं. मृत्यु की पहेली विरोधाभासी तरीके से मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा राज़ उसकी अपनी मृत्यु ही है.जानिये "बार्दो थोडल" की विद्याओं को और क्या होता है "आत्मा" जब वः अपना शारीर त्याग देती है. प्रतिगम, अवतरण और पुनरावृति संभवतः आपने कभी खुद को स्वप्नों में कोई अन्य भाषा बोलते हुए, या किसी अन्य शारीर के साथ देखा होगा. घबराइये मत यह केवल पिछले जन्म की यादें हैं. आत्माओं का ट्रांस्मिग्राशन प्राचीन पूर्वी सभ्यता इस बात का प्रमाण देती है की आत्माओं को मनुष्य बनने से पहेले धातु ,वानस्पतिक और जंतु जाती के विकास और पतन की क्रियाओं से गुज़ारना पड़ता है.क्या आपने कभी पकृति के "गनोम" ,"गोब्लिन" या "जिनी" के बारे में सुना है? मन का ब्रमांड वर्त्तमान मानव जाती का मनन एक दुर्बल उर्जा है जो की कई खंडो द्वारा बाधित है.केवल मन के सभी तर्कों को जान कर ही हम उसे आज़ाद कर पाएंगे अतः उसकी अनगिनत संभावनाएं जान पाएंगे. अंदरूनी मन की शक्तियां विशयासत्क मन ने इस संसार को अनात्मवाद से भर दिया है. मध्यवर्ती मन ने संसार को आध्यात्मिक अव्धार्नाओं से भर दिया है.दोनों ने ही स्वयं को नहीं जाना है.केवल गंभीर और कर्म सम्बन्धी मन-अंदरूनी मन, से किया गया शोध हमें कल्पनाओं से बहार ला सकता है. ज़रुरत और लालच बीमारियाँ, तलक, अपवाद, और सभी प्रकार की मुसीबतों से यह साफ़ है की पैसा हमें खुशियाँ प्रदान नहीं कर सकता. अतः यह कथनी कुछ हद तक सच है की "ज्यादा आमिर के पास नहीं है, ज्यादा उसके पास है जिसे कम चाहिए". अटलांटिस, दन्त कथा या सच्चाई वर्त्तमान सभ्यता के पांच महाद्वीपों पर बसने से पहेले एक सभ्यता थी जिसने उस महासागर को नाम दिया जिसके अन्दर वह दफन हुई. एक सभ्यता जिसने तरक्की की वे ऊचाइयां हासिल की जो हम आज तक नहीं कर पाएं हैं. अटलांटिस का ज़िक्र "प्लेटो" ने इशू से चार सदी पहेले किया है. अक्वेरिअस का नया दौर संसार के अक्वेरिअस के नए दौर के ज्योतिष सम्बन्धी और लौकिक प्रभाव में प्रवेश करने के कारण मनुष्य की मानसिकता और जीवन में अनेक परिवर्तन पैदा हो रहे हैं . इन प्रभावों को जान कर और संभाल कर हम अपने अस्तित्व को एक अधिक श्रेष्ठ स्तर पर ले जा सकेंगे . |