स्वतन्त्र करी गयी चेतना हमपर घनिष्ट सुन्दरता बरसाती है. ऐसी सुन्दरता से सम्पूर्ण उल्लास और शुद्ध प्रेम उत्पन्न होता है. सामाएल आउन वियोर . क्रांतिकारी मनोविज्ञान, पाठ ४.